2024-09-01

कौन हैं अजीत डोभाल, इस वक्त हैं देश के सबसे ताकतवर नौकरशाह, जानिए ख़ास बातें

नई दिल्ली। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को एक नई जिम्मेदारी दी गई है। रणनीतिक नीति समूह (स्ट्रैटिजिक पॉलिसी ग्रुप) यानी एसपीजी के कैबिनेट सचिव के बदले अब वो इसकी अध्यक्षता करेंगे। इस नई जिम्मेदारी के साथ वो और भी शक्तिशाली नौकरशाह बन गए हैं। आइए जानते हैं कौन हैं अजित डोभाल जिसने 37 सालों तक सिर्फ जासूसी की।

अजीत डोभाल भारत के इकलौते ऐसे पुलिस अधिकारी हैं जिन्हें कीर्ति चक्र और शांतिकाल में मिलने वाले गैलेंट्री अवॉर्ड से नवाजा गया है। डोभाल ने पठानकोट ऑपरेशन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। डोभाल कई सिक्युरिटी कैंपेन का हिस्सा रहे हैं। इसी के चलते उन्होंने जासूसी की दुनिया में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं।

अजीत डोभाल का जन्म 1945 को पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। उनकी पढ़ाई अजमेर मिलिट्री स्कूल में हुई है। केरल के 1968 बैच के IPS अफसर डोभाल अपनी नियुक्ति के चार साल बाद 1972 में ही इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) से जुड़ गए थे। उन्होंने अपना ज्यादातर समय खुफिया विभाग में जासूसी करके गुजारा है। वह 2005 में आईबी की डायरेक्टर पोस्ट से रिटायर हुए हैं। उन्होंने अपने पूरे करियर में सिर्फ सात साल ही पुलिस की वर्दी पहनी है।

वह मल्टी एजेंसी सेंटर और ज्वाइंट इंटेलिजेंस टास्क फोर्स के चीफ भी रह चुके हैं। डोभाल को जासूसी का लगभग 37 साल का अनुभव है। वह 31 मई 2014 को देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने।

आपको जानकर हैरानी होगी कि खुफिया एजेंसी रॉ के अंडर कवर एजेंट के तौर पर डोभाल 7 साल पाकिस्तान के लाहौर में एक पाकिस्तानी मुस्लिम बन कर रहे थे। जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पर हुए आतंकी हमले के काउंटर ऑपरेशन ब्लू स्टार में जीत के नायक बने। अजीत डोभाल रिक्शा वाला बनकर मंदिर के अंदर गए और आतंकियों की जानकारी सेना को दी, जिसके आधार पर ऑपरेशन में भारतीय सेना को सफलता मिली।

1999 में कंधार प्लेन हाईजैक के दौरान ऑपरेशन ब्लैक थंडर में अजीत डोभाल आतंकियों से निगोसिएशन करने वाले मुख्य अधिकारी थे। जम्मू-कश्मीर में घुसपैठियों और शांति के पक्षधर लोगों के बीच काम करते हुए कई आतंकियों को सरेंडर कराया। अजीत डोभाल 33 साल तक नॉर्थ-ईस्ट, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में खुफिया जासूस भी रहे। वह 2015 में मणिपुर में आर्मी के काफिले पर हमले के बाद म्यांमार की सीमा में घुसकर उग्रवादियों के खात्मे के लिए सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन के हेड प्लानर रहे।

अजित डोभाल की ख़ास बातें :
1945 में एक गढ़वाली #उत्तराखण्ड ब्राह्मण परिवार में जन्म। पिता आर्मी में ब्रिगेडियर थे। 1968 में IPS का एग्जाम टॉप किया। केरल बैच के आईपीएस अधिकारी बने।17 साल की ड्यूटी के बाद ही मिलने वाला मेडल 6 साल की ड्यूटी के ही बाद मिला। पाकिस्तान में जासूस के तौर पर तैनाती। पाकिस्तान की आर्मी में मार्शल की पोस्ट तक पहुंचे और 6 साल भारत के लिए जासूसी करते रहे।1987 में खालिस्तानी आतंकवाद के समय पाकिस्तानी एजेंट बनकर दरबार साहिब के अंदर पहुंचे। 3 दिन आतंकवादियों के साथ रहे।

आतंकवादियों की सारी जानकारी लेकर ऑपरेशन ब्लैक थंडर को सफलता पूर्वक अंजाम दिया।1988 में कीर्ति चक्र मिला। देश का एक मात्र गैर सेना व्यक्ति जिसे यह पुरस्कार मिला है। असम गए। वहां उल्फा आतंकवाद को कुचला। 1999 में plane hijacking के समय आतंकवादियों से dealing की RSS के करीबी होने के कारण मोदी ने सत्ता में आते ही NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) बनाया

केरल की 45 ईसाई नर्सों का iraq में isis ने किडनैप किया। डोभाल खुद इराक गए। isis से पहली बार hostages ज़िंदा बिना बलात्कार हुए (महिला) वापिस लौटे राष्ट्रपति अवार्ड मिला। 2015 मई में भारत के पहले सर्जिकल ऑपरेशन को अंजाम दिया। भारत की सेना म्यांमार में 5 किमी तक घुसी । 50 आतंकवादी मारे। नागालैंड के आतंकवादियों से भारत की इतिहासिक deal करवाई। आतंकवादी संगठनों ने हथियार डाले। भारत की defence policy को agressive बनाया। भारत की सीमा में घुस रहा पाकिस्तानी ship बिना किसी warning के उड़ाया। कहा बिरयानी खिलाने वाला काम नही कर सकता।

बता दें कि 1999 में एसपीजी का गठन बाहरी, आंतरिक और आर्थिक सुरक्षा के मामलों में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की मदद के लिए किया गया था। वो एसपीजी की बैठकों का संयोजन करेंगे, जबकि कैबिनेट सचिव फैसलों पर अमल को लेकर विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के बीच समन्वय स्थापित करेंगे।

इससे पहले एसपीजी की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव किया करते थे, जो सरकार में सबसे वरिष्ठ नौकरशाह होते हैं, लेकिन अब इसकी अध्यक्षता देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल करेंगे। मोदी सरकार ने 11 सितंबर को इस संबंध में अधिसूचना जारी की थी और 8 अक्टूबर को गजट प्रकाशित किया था। अधिसूचना के मुताबिक, अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को इस समूह का चेयरमैन घोषित किया गया है।

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