उत्तराखंड

चमोली में भूधंसाव और भूस्खलन से सड़कें बाधित

प्रदेश में इस साल भारी बारिश की वजह से राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों में कई नए भूस्खलन क्षेत्र बन रहे हैं। जानकारों का कहना है कि लगातार बारिश की वजह से पहाड़ों की पानी सोखने की क्षमता कम हो गई है। वहीं, सड़कों का चौड़ीकरण ठीक से न किया जाना भी इसकी वजह है। नए भूस्खलन क्षेत्रों का जल्द उपचार न किया गया तो यह भविष्य के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं।उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर भूस्खलन और नदियों के कटाव से करीब 15 नए भूस्खलन क्षेत्र बन गए हैं। इन सभी स्थानों पर मलबा और बड़े पत्थर गिर रहे हैं। इससे घंटों सड़कें बंद हो रही हैं।गंगोत्री और यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग में नगुण, धरासू बैंड, नालू पानी, नेताला, नालूणा, पापड़ गाड़, लिमची गाड़, डबरानी, सोन गाड़, और धराली जैसे कई नए खतरनाक भूस्खलन क्षेत्र बने हैं। चमोली जिले में नंदानगर के बैंड बाजार में भूधंसाव हुआ है। नंदप्रयाग-नंदानगर मार्ग में ग्वाड़ा के पास नया भूस्खलन क्षेत्र बन गया है। यहां पहाड़ी से लगातार भूस्खलन हो रहा है। ज्योतिर्मठ के पल्ला गांव में करीब 25 भवनों में दरारें आ गई हैं। टिहरी जिले के प्रतापनगर क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश से कई गांवों के आवासीय भवनों पर खतरा बना है। पोखरी, सिलोडा, कोढदी, डोडग-थापला, गढ़ सिनवाल और पुजारगांव में लोगों के घरों में दरार पड़ गई है।पुजार गांव-कोटेश्वर मार्ग में भूस्खलन से पांच ग्रामीणों के मकानों को नुकसान हुआ है। पौड़ी में फतेहपुर- लैंसडोन मोटर मार्ग पर पालकोट, निर्माण खंड दुगड्डा में एसएच-9 पर दिउली व पीपलकोटी के साथ ही निर्माण खंड बैजरो के तहत एसएच- 32 पर मरचूला- सराईखेत- बैजरो- पोखड़ा- सतपुली मोटर मार्ग पर भूस्खलन क्षेत्र बने हैं।

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