2024-09-01

जब अंतरिक्ष में गूंजा था सारे जहां से अच्‍छा, जानिए स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा के बारे में ये खास बातें


डेस्क। स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा का नाम लेते ही करीब 35 साल पहले का वह वाक्‍या याद कर सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है जब दूर अंतरिक्ष में गूंजा ‘सारे जहां से अच्‍छा हिंदोस्‍तां हमारा’ गूंजा था। भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा देश और पंजाब के ऐसे सपूत हैं जिन्‍होंने देश का नमा दुनिया ही नहीं दूर अंतरिक्ष में भी गूंजायमान किया। आज वह 70 वर्ष के हो गए हैं।

राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी, 1949 को पंजाब के पटियाला में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा दीक्षा हैदराबाद में पूरी की। उन्‍होंने स्‍कूली शिक्षा के बाद हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन पास किया और इसके बाद 1966 में एनडीए पास कर भारतीय वायुसेना ज्‍वाइन किया। वह पायलट बनना चाहते थे और उनका सपना उस समय साकार हो गया जब 1970 में उनको भारतीय वायुसेना में टेस्ट पायलट चुना गया । उस समय उनकी आयु 21 साल की थी। इसके बाद उनकी बहादूरी और जाबांजी का सफर शुरू हाे गया।

अपनी कल्‍पना और असाधारण जज्‍बे की बदलौत बचपन में दूर गगन में विमानों को उड़ान भरते निहारते रहने वाले राकेश भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री बन गए। 20 सितंबर, 1982 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने उन्हें तत्‍कालीन सोवियत संघ की अंतरिक्ष एजेंसी इंटरकॉस्मोस के अभियान के लिए चुन लिया। उनके साथ रविश मल्‍होत्रा को भी चुना गया था, लेकिन अंतरिक्ष के सफर का मौका राकेश शर्मा को मिला।

2 अप्रैल 1984 को दो सोवियत अंतरिक्ष यात्रियों के साथ सोयूज टी-11 अंतरिक्ष यान में रवान हुए और साल्युत 7 अंतरिक्ष केंद्र में पहुंचे। वहां उन्‍होंने भारहीनता की स्थिति में कई उपयोगी प्रयोग किया। वह अंतरक्षि में करीब आठ दिन रहे आैर उसके बाद वाप धरती पर लौटे। इस दौरान उन्होंने उत्तरी भारत की फोटोग्राफी की और गुरूत्वाकर्षण-हीन योगाभ्यास किया। उन्होंने अंतरिक्ष यान में पृथ्वी का चक्कर भी लगाया।

राकेश शर्मा दो सोवियत अंतरिक्ष यात्रियों वाईवी मालिशेव और जीएम स्ट्रकोलॉफ़ के साथ 2 अप्रैल, 1984 को अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी। मालिशेव इस अंतरिक्ष यान के कमांडर थे। स्ट्रकोलॉफ़ अंतरिक्ष यान के फ्लाइट इंजीनियर थे।

राकेश शर्मा सहित तीनों अंतरिक्ष यात्रियों ने तत्‍कालीन सा‍ेवियत संघ के बैकानूर से अंतरिक्ष यान सोयूज टी-11 से सोवियत रूस के ऑर्बिटल स्टेशन सेल्यूत-7 में पहुंचे।

यह अंतरिक्ष कार्यक्रम भारत और तत्‍कालीन सोवियत संघ का संयुक्‍त मिशन था। यह दोनों देशों के बीच दोस्‍ती का बेमिसाल उदाहरण था। इस मिशन के दाैरान राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष के उत्‍तर भारत खासकर हिमाचल क्षेत्र की तस्‍वीरें खींचीं।

भारतवासियों के लिए लिए वह गर्व का क्षण था, जब तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राकेश के अंतरिक्ष में पहुंचने पर उनसे बातचीत की। इसका टीवी पर सीधा प्रसारण किया गया। इंदिरा गांधी ने जब पूछा कि अंतरिक्ष से भारत कैसा लगता है, तो राकेश शर्मा ने तपाक से उत्‍तर दिया – सारे जहां से अच्छा। राकेश शर्मा की हाजिर जवाबी से इंदिरा गांधी भी हंस पड़ीं।

भारत के इसरो और सोवियत संघ के इंटरकॉस मॉस के इस संयुक्त अंतरिक्ष मिशन के‍ लिए चयन के बाद राकेश शर्मा और रविश मल्होत्रा को सोवियत संघ के कज़ाकिस्तान स्थित बैकानूर में खास व गहन प्रशिक्षण के लिए भेजा गया।

इस अंतरिक्ष दल ने 43 प्रयोग किए। इनमें करीब 33 प्रयाेग राकेश शर्मा ने किए। इनके अंतर्गत वैज्ञानिक और तकनीकी अध्ययन शामिल था। उन्‍होंने वहां भारहीनता से पैदा होने वाले असर से निपटने के लिए अभ्‍यास भी किया। तीनों अंतरिक्ष यात्रियों ने स्‍पेस स्‍टेशन से मॉस्‍को और नई दिल्‍ली के एक साझा सम्‍मेलन को भी संबोधित किया।

भारतीय वायुसेना में सेवा के दौरान राकेश शर्मा ने 1971 के भारत-पाकिस्‍तान युद्ध में अद्भूत वीरता और दक्षता का प्रदर्शन किया था। उन्‍होंने लड़ाकू विमान मिग उड़ाते हुए दुश्‍मनों के परखच्‍चे उड़ा दिए और से महत्वपूर्ण कामयाबी हासिल की। युद्ध के बाद से राकेश शर्मा चर्चा में आ गए और उनकी दक्षता व वीरता की जमकर जमकर तारीफ हुई।

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