विष्णु लाटा बने जयपुर नगर निगम के नए मेयर
जयपुर। विष्णु लाटा जयपुर नगर निगम के नए मेयर चुने गए हैं। 45 वोटों के साथ उन्होंने जीत हासिल की है। भाजपा उम्मीदवार मनोज भारद्वाज में एक वोट से ये चुनाव हार गए हैं। उन्हे कुल 44 वोट मिले।
वहीं एक वोट निरस्त कर दिया गया। गौरतलब है कि भाजपा से बागी हुए विष्णु लाटा ने मेयर पद के लिए नामांकन भरा। जीत के तुरंत बाद लाटा को मेयर पद की शपथ दिलाई गई। इस दौरान तमाम पार्षद मौजूद रहे।
चुनाव से पहले सोमवार को भाजपा ने अपने सभी पार्षदों को अजमेर रोड़ स्थित एक रिजॉर्ट पर रखा था। विष्णु लाटा बिना किसी को सूचना दिए रिसोर्ट से चले गए थे। लाटा के रिसोर्ट में नहीं दिखाई देने पर उनके साथी पार्षद उन्हें फोन करते रहे लेकिन किसी पार्षद का फोन नहीं उठाया था।
इसके बाद पार्षदों ने उन्हें रिसोर्ट में ढूंढा। देर रात तक लाटा का पता नहीं लग पाया था। जिसके बाद वे मंगलवार सुबह सीधी नामांकन भरने पहुंचे थे। राजस्थान के विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी को जयपुर मेयर के चुनाव में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा।
राजधानी जयपुर में मंगलवार को मेयर के लिए हुए चुनाव में 91 में से 63 पार्षद होते हुए भी बीजेपी के अधिकृत प्रत्याशी और उप महापौर मनोज भारद्वाज जीत नहीं पाए और बागी विष्णु लाटा 45 वोटों के साथ विजयी रहे लोकसभा चुनाव से पहले जयपुर शहर में पार्टी के बीच बगावती तेवर बीजेपी के लिए घातक साबित हो सकते हैं।
बता दें कि जयपुर नगर निगम के मेयर पद के लिए हुए उपचुनाव में बीजेपी में बगावत की खबरों के बीच पार्टी ने मंगलवार को उप महापौर मनोज भारद्वाज को अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया था। भारद्वाज के सामने पार्टी के ही पार्षद विष्णु लाटा ने बगावत करते हुए नामांकन दाखिल किया था। बीजेपी के बोर्ड वाले नगर निगम में पहले अशोक लाहोटी मेयर थे।
लाहोटी के हाल ही में सांगानेर से विधायक चुने जाने के बाद मेयर पद खाली हुआ था उनके इस्तीफे के बाद बीजेपी ने मेयर पद के लिए उप महापौर मनोज भारद्वाज के नाम पर मुहर लगाई थी, लेकिन मेयर पद के लिए बीजेपी पार्षदों में पहले से हो रही गुटबाजी के चलते पार्टी बगावत को लेकर आशंकित थी।
सोमवार को विष्णु लाटा ने सुबह 11 बजे पार्षदों से खाली कागज पर हस्ताक्षर करवाकर अपने पक्ष में लॉबिंग करने का प्रयास किया था। पार्षदों ने उपस्थिति पत्र समझकर 22 पार्षदों ने हस्ताक्षर कर दिए थे। लॉबिंग का पता चला तो लाटा का विरोध किया। विरोध के बाद संगठन ने हस्ताक्षर किए कागजों को फड़वा दिए थे।