घनश्याम तिवाड़ी की सियासी यात्रा

घनश्याम तिवाड़ी एक भारतीय राजनेता हैं जो वर्तमान में राजस्थान के सांगानेर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। 6 बार विधायक रह चुके घनश्याम तिवाड़ी पिछले 3 चुनावों से लगातार सांगानेर सीट से जीत रहे हैं। वे राजस्थान के बड़े राजनेताओं में से एक हैं जिन्होंने बीजेपी की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
राजस्थान सरकार की शासन नीतियों से असहमत होकर घनश्याम तिवारी ने 2018 में बीजेपी से इस्तीफा देकर अपनी नई पार्टी, भारत वाहिनी पार्टी बनाई है। और आगामी विधानसभा चुनाव में राजस्थान में 200 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतार सकती है आज हम बात करते हैं घनश्याम तिवाड़ी की यह एक ऐसे नेता है जो राजस्थान की राजनीति में उठापटक कर सकते हैं और सियासत को बदलने में माहिर है घनश्याम तिवाड़ी 6 बार विधायक बन चुके हैं तिवाड़ी छात्र जीवन से ही राजनीति में माहिर है। राजस्थान के सीकर से तीन बार विधायक बने और सांगानेर विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक बने घनश्याम तिवारी 2013 के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा वोटों से चुनाव में जीत दर्ज की आज घनश्याम तिवारी बीजेपी से इस्तीफा देकर राजस्थान में अपनी पार्टी बनाकर अखाड़े में आ गए है।
प्रारम्भिक जीवन व राजनीतिक जीवन
घनश्याम तिवाड़ी का जन्म राजस्थान के सीकर जिले में 1947 को हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सीकर से ही प्राप्त की। श्री कल्याण संस्कृत महाविद्यालय, सीकर से स्नातक के दौरान ही तिवारी को कॉलेज के छात्र संघ में महासचिव का पद मिला। यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई। एलएलबी करने के लिए तिवारी जयपुर आ गए। इन वर्षों में वे विश्वविद्यालय में अपेक्स टीम के सदस्य रहे और बाद में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के उपाध्यक्ष बने। 1975 में आपातकाल के दौरान घनश्याम तिवाड़ी पूर्ण रूप से राजनीति में कूद पड़े। उन्होंने तत्कालीन सरकार की दमनकारी नीतियों का विरोध किया। घनश्याम तिवारी को राजस्थान की जनता का समर्थन प्राप्त हो रहा था और उनका संघर्ष आगे बढ़ रहा था।
इस विरोध के कारण उन्हें जेल में डाल दिया और शारीरिक-मानसिक यातनाएं दी गईं। उनके साथ हुए दुर्व्यवहार का विरोध करते हुए जयप्रकाश नारायण और वाजपेयी जैसे नेताओं ने जेल में भूख हड़ताल की और सरकार तथा प्रशासन की निंदा की। तिवाड़ी राजस्थान में एक जाना-पहचाना नाम बन गए। तिवाड़ी 1980 के विधानसभा चुनाव में सीकर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते और उनका राजनीतिक जीवन ऊंचाई की ओर मुड़ गया। घनश्याम तिवाड़ी बीजेपी के एक महत्वपूर्ण सदस्य थे। आंतरिक मतभेदों के कारण पार्टी के कुछ सदस्यों ने अलग होकर अपना नया संगठन बना लिया। 6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी अस्तित्व में आई, बीजेपी की नींव खड़ी करने में तिवाड़ी का योगदान अविस्मरणीय है। घनश्याम तिवाड़ी ने राजस्थान सरकार में विभिन्न विभागों के मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं। वह पूर्व मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत के सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे। कुछ सालों के बाद उन्हें वसुंधरा सरकार में कई विभाग एक साथ सौंपे गये। प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा, न्याय एवं विधि और संसदीय मामलों के मंत्रालय उनके पास रहे। शिक्षा मंत्री के रूप में उनकी उपलब्धि राजस्थान की राजनीति के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
राजस्थान के सीकर में सांवली रोड पर घनश्याम तिवाड़ी कि 10 बीघा जमीन का सौदा होने जा रहा था मोल-भाव के बाद ये सौदा हो गया खरीदने वाले का नाम था सीताराम शर्मा और बेचने वाले का नाम घनश्याम तिवाड़ी था। उस वक्त घनश्याम तिवाड़ी 33 साल के थे , जिसे आने वाला चुनाव लड़ना था उसने अपनी पुश्तैनी जमीन सिर्फ इसलिए बेच दी, ताकि वो चुनाव के लिए पैसे जुटा सके पार्टी का नाम था बीजेपी जनता दल टूटने के बाद नई पार्टी बनी थी बीजेपी यह राज्य में ये पहला चुनाव था।
यह लेखक के अपने निजी विचार है।
मुकेश यादव