तीन तलाक विधेयक लोकसभा में हुआ पास , अब राज्यसभा में भेजा जाएगा, विपक्षी दलों ने सदन से किया वॉकआउट
नई दिल्ली। शादीशुदा मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से निजात दिलाने संबंधी विधेयक पर आज लोकसभा में चर्चा शुरू हो गई।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2018 को सदन में चर्चा के लिए पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक किसी धर्म, संप्रदाय के खिलाफ नहीं बल्कि नारी सम्मान और उसकी गरिमा के लिए है।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह विधेयक इंसानियत के लिए है। विधेयक पहले भी लोकसभा में चर्चा के बाद पारित हो चुका है किंतु राज्यसभा में यह कुछ कारणों से अटक गया। उस वक्त विपक्ष के सदस्यों ने विधेयक को लेकर कुछ सुझाव दिए थे, जिनका इस नए विधेयक में ख्याल रखा गया है।
केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2018 में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के मामले को गैर जमानती अपराध माना गया है लेकिन इस नए विधेयक में अब न्यायाधीश के पास पीड़ित का पक्ष सुनने के बाद सुलह कराने और जमानत देने का अधिकार होगा।
इसके अलावा पीड़ित, उससे खून का रिश्ता रखने वाले और शादी के बाद बने उसके संबंधी पुलिस में मामला दर्ज करा सकता है। विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि न्यायाधीश के पास पति-पत्नी के बीच समझौता कराकर उनकी शादी बरकरार रखने का अधिकार होगा ।
साथ ही एक बार में तीन तलाक की पीड़ित महिला को मुआवजे का अधिकार दिया गया है। प्रसाद ने सदन से आग्रह किया कि वह इस विधेयक पर चर्चा करें और उनके जो भी सुझाव उचित होंगे उस पर सरकार गंभीरता से विचार करेगी।