युवाओं की जिद और सरकार की कोशिशें, आखिरकार मान गई मांग

यूकेएसएसएससी की सबसे बड़ी परीक्षा का पेपर लीक प्रकरण प्रदेश में एक बड़े युवा आंदोलन के तौर पर सामने आया। सरकार जतन करती रही, युवा आंदोलन करते रहे…मुख्यमंत्री धामी बीच में आए तो आखिर सबकी मुराद पूरी हो गई।21 सितंबर को जब पेपर लीक के आरोप लगाते हुए बेरोजगार संघ ने परीक्षा रद्द करने व सीबीआई जांच की मांग उठाई तो किसी को भी ये आभास नहीं था कि अगले सप्ताहभर में क्या होने वाला है। पहले ही दिन मामले में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच के लिए एसटीएफ और देहरादून एसएसपी को पत्र भेजा। आयोग व पुलिस ने पहले दिन बताया कि ये पेपर लीक नहीं बल्कि एक परीक्षा केंद्र पर व्यक्ति विशेष की ओर से की गई कारगुजारी है, लेकिन बेरोजगार संघ ने इसे पेपर लीक बताते हुए पहले ही दिन सचिवालय कूच करने का ऐलान कर दिया।आखिरकार खुद सीएम धामी युवाओं के बीच पहुंचेसचिवालय कूच करने के लिए 22 सितंबर को युवाओं की भीड़ परेड ग्राउंड पहुंच गईं। पहले लग रहा था कि यहां से सचिवालय कूच करेंगे और फिर आंदोलन स्थगित हो जाएगा, लेकिन युवा इस पेपर लीक को लेकर अपने स्टैंड पर कायम दिखे। पहले ही दिन की रात युवा वहीं बैठे रहे। अगली सुबह से उनका आंदोलन सोशल मीडिया और मीडिया की सुर्खियां बन गया। खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दूसरे दिन बयान दिया कि नकल माफिया किसी सूरत बख्शे नहीं जाएंगे।बावजूद इसके आंदोलन अब प्रदेशव्यापी होता जा रहा था। गढ़वाल के साथ ही कुमाऊं के कई जिलों में भी आग फैलने ली थी। मामले में जांच के लिए 24 सितंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एसआईटी गठित कर दी। लेकिन बेरोजगार संघ इस पर मानने को तैयार न था। इसी दौरान एक प्रतिनिधिमंडल भी सीएम से मिला लेकिन बात न बन सकी। सरकार युवाओं को समझाने का हर जतन कर रही थी। लगातार सीएम व दूसरे नेता युवाओं से बातचीत करने की कोशिश में थे, लेकिन युवा अडिग थे। आखिरकार खुद सीएम धामी उनके बीच पहुंचे और सीबीआई जांच की घोषणा कर दी।आंदोलन के दौरान ये सब भी चलाआंदोलन के दौरान सोशल मीडिया में कई वीडियो वायरल हुए, जिन पर सवाल खड़े हुए। सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने बाकायदा प्रेस वार्ता कर माहौल को अपने पक्ष में रखने की कोशिश की तो युवा भी लगातार प्रेस वार्ता कर अपनी बात रखते रहे।