2023-09-30

क्या उस समय जिंदा थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस? जानिए…

नई दिल्ली। सुभाष चंद्र बोस (नेता जी) की मृत्यु का सही कारण पता लगाने के लिए भारत की सरकारें मुखर्जी आयोग से पूर्व दो जांच आयोग गठित कर चुकी हैं।

केंद्र में जब 1998 में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार आई तब इसके गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने एक और आयोग का गठन किया, जिसे नेता जी की मृत्यु का सही कारण पता लगाने का कार्य सौंपा गया।

इस आयोग को 2002 में रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन उसने 2005 में रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी। यह मुखर्जी आयोग पिछले आयोग के निष्कर्ष से एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाई। 8 नवंबर 2005 को जस्टिस एम. के. मुखर्जी ने भारत सरकार को नेता जी सुभाष चंद्र बोस के मृत्यु के सम्बन्ध में रिपोर्ट सौंपी। 8 नवंबर 2005 को जस्टिस एम. के. मुखर्जी ने भारत सरकार को नेता जी सुभाष चंद्र बोस के मृत्यु के सम्बन्ध में रिपोर्ट सौंपी।

बोस पर आखिरी रिपोर्ट
8 नवंबर 2005 को जस्टिस एम. के. मुखर्जी ने भारत सरकार को नेता जी सुभाष चंद्र बोस के मृत्यु के सम्बन्ध में रिपोर्ट सौंपी। नेता जी की मृत्यु कैसे हुई इस सम्बन्ध में किसी भी तथ्य की सच्चाई उजागर होने के बजाए और अनसुलझी पहले बन गई।

जस्टिस मुखर्जी आयोग की जांच रिपोर्ट से साबित होता है कि नेता जी कि मृत्यु के सम्बन्ध में आज भी कुछ रहस्य है। मुखर्जी आयोग कि जांच रिपोर्ट में बताया गया कि 18 अगस्त 1945 को ताईवान में कोई विमान दुर्घटना नहीं हुई। सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को ताईवान के ताईहोकू हवाई अड्डे पर,विमान दुर्घटना में आग में झुलस जाने से हुई थी।

जांच आयोग को ताईवान ने पूरा सहयोग दिया और निष्कर्ष निकाला कि ताईवान के ताईहोकू हवाई अड्डे पर कोई विमान दुर्घटना नहीं हुई थी। नेता जी सुभाष चंद्र बोस से सम्बन्ध रखने वाले देश रूस,जापान व ब्रिटेन थे। रूस,जापान व ब्रिटेन ने जांच में आयोग को अपेक्षित सहयोग नहीं दिया।

जांच आयोग को रूस जाने की अनुमति यूपीए सरकार ने नहीं दी, जिससे जांच आयोग को जांच कार्य में बाधा पहुंची। जांच भी ठीक ढंग से न हो सकी। मुखर्जी जांच आयोग की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट से ज्ञात होता है कि सुभाष चंद्र बोस 1946 में ज़िंदा थे। सुभाष चंद्र बोस रूस में देखे गए थे। इसके ठोस प्रमाण प्राप्त न हो सके क्योंकि भारत सरकार ने आयोग को जांच के लिए रूस जाने की अनुमति प्रदान नहीं की थी।

अमेरिकी खुफिया एजेंसी (सी.आई.ए.)के अनुसार 18 अगस्त 1945 ई.को ताईवान में कोई विमान दुर्घटना नहीं हुई थी। इस प्रकार जांच आयोग की रिपोर्ट ने आशंका जताई कि स्टालिन ने ही नेता जी को फांसी पर लटका दिया था, जिससे कि उनकी मृत्यु हुई थी।

के.जी.बी. से जुड़े दो जासूसों ने 1973 में वॉशिंगटन पोस्ट को बिना अपना नाम बताए कहा था कि जापान के टैनकोजी मंदिर में रखी हुई अस्थियां नेता जी की नहीं हैं। नेता जी के भतीजे अमियनाथ ने खोसला आयोग को बताया था कि एक बार उन्हें ब्रिटिश अधिकारी ने फोन पर जानकारी दी थी कि 1947 में नेता जी सुभाष चंद्र बोस के साथ रूसी अधिकारियों ने गलत और अपकृत्य व्यवहार किया था।

सुभाषचंद्र बोस के भाई शरत चंद्र बोस ने 1949 में कहा था कि सोवियत संघ में नेता जी को साइबेरिया कि जेल में रखा गया था तथा 1947 में स्टालिन ने नेता जी को फांसी पर चढ़ा दिया था। सुभाष चंद्र बोस के साथ विमान में यात्रा करने वाले कर्नल हबीब रहमान ने मृत्यु के कुछ दिन पूर्व यह स्वीकार किया था कि ताईवान में कोई विमान दुर्घटना नहीं हुई थी।

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