लोकसभा चुनाव 2019 Result Live Updates: मोदी के नाम पर देश की जनता ने फिर चुना NDA सरकार

नई दिल्ली। लोकसभा चुनावों में जमीनी मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि हावी रही है। मोदी के नेतृत्व में लगातार दूसरी बार लोकसभा चुनावों में शानदार जीत से साबित हो गया है कि विपक्ष ने भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, किसानों की दुर्दशा, नोटबंदी, राफेल, जीएसटी आदि जिन मुद्दों को इन चुनावों में उठाया था, उन्हें जनता ने पूरी तरह से नकार दिया। जनता ने पिछले पांच साल के मोदी सरकार के कामकाज पर भरोसा करते हुए उन्हें दोबारा देश की सत्ता सौंपने का फैसला किया है।
इन चुनावों में मोदी के कुशल नेतृत्व, राष्ट्रवाद के एजेंडे, आतंकियों के खिलाफ की गई एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक का अहम योगदान रहा। मोदी सरकार के पिछले पांच सालों के कामकाज को देखें तो उसमें गरीबों, महिलाओं, ग्रामीणों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। उज्ज्वला जैसी योजनाएं, गरीबों के लिए पांच लाख की बीमा योजना, सभी गांवों में बिजली पहुंचाना, आवास योजना, सवर्णों को नौकरियों में दस फीसदी आरक्षण जैसे फैसलों ने जनता को प्रभावित किया।
दूसरी तरफ, पिछले साल तीन राज्यों में जीत के बाद कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ़ा था और फरवरी में पाकिस्तान के खिलाफ हुई एयर स्ट्राइक से पहले कांग्रेस और विपक्ष खासे मुकाबले में खड़े दिख रहे थे। लेकिन पुलवामा में हुए आतंकी हमले और उसके जवाब में बालाकोट में वायुसेना की एयर स्ट्राइक और उसके बाद पायलट अभिनंदन की वापसी प्रकरण ने भाजपा को अचानक काफी बढ़त दे दी। इस फैसले के लिए मोदी के नेतृत्व की देश भर में सराहना भी हुई।
‘न्याय’ का लाभ नहीं
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में सत्ता में आने पर गरीबों के लिए 72 हजार रुपये सालाना देने की योजना का ऐलान किया था। लेकिन साफ है कि इससे उसे कोई फायदा नहीं हुआ। वजह साफ थी कि एक तो कांग्रेस के सत्ता में आने की उम्मीदें नहीं थी, क्योंकि यह पहले से माना जा रहा था कि केंद्र में एनडीए सरकार बन रही है। सिर्फ यह स्पष्ट नहीं था कि जीत कैसी रहेगी। दूसरे, चुनाव का पूरा केंद्र बिंदु नरेंद्र मोदी बन गए थे। इसलिए लुभावने वादे, दलों की नीतियां आदि कारगर नहीं रही।
चुनावों में शुरू से भाजपा को मोदी के नेतृत्व का फायदा मिलता हुआ दिख रहा था। इसलिए भाजपा ने भी अपने प्रचार अभियान के केंद्र में मोदी और पांच साल की उपलब्धियों को रखा। गरीबों के लिए किए गए कार्यों को रखा। इससे उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरणों को तोड़ने में मदद मिली। भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी। इसलिए हिन्दुत्व के मुद्दे को हवा देने के लिए साध्वी प्रज्ञा को मैदान में उतारा गया। बंगाल समेत कई राज्यों में में इस कदम ने भी असर डाला है।