आर्थिक आरक्षण आज से शुरू, मुख्यमंत्री रूपाणी ने बताया ऐतिहासिक निर्णय
नई दिल्ली। मोदी सरकार की ओर से सामान्य वर्ग के गरीब अभ्यर्थियों के लिए आरक्षण का कानून बनाने के बाद गुजरात इसे लागू करने वाला पहला राज्य बनेगा।
गुजरात सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में सोमवार से 10 फीसद आरक्षण देने जा रही है। संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन कर पिछले दिनों केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए भी आरक्षण का रास्ता साफ कर दिया था।
– शैक्षणिक संस्थाओं और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से पिछड़ों को 10 फीसद आरक्षण दिया जाएगा।
– यह आरक्षण अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे के अतिरिक्त दिया जाएगा।
– पहले से घोषित उन भर्तियों में भी यह आरक्षण लागू होगा, जिनकी अभी कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है।
– जिन भर्तियों के लिए लिखित, मौखिक और कंप्यूटर परीक्षा ली जा चुकी है, उन पर यह लागू नहीं होगा।
– ऐसे परिवार, जिनकी सालाना आय आठ लाख या उससे कम होगी।
– जिनके पास पांच एकड़ या उससे कम कृषि योग्य भूमि है।
– ऐसे परिवार, जिनके पास एक हजार वर्ग फीट या उससे कम का मकान है।
– अधिसूचित नगरीय क्षेत्र में जिनके पास 100 गज का प्लॉट है।
– गैर-अधिसूचित नगरीय क्षेत्र में 200 या उससे कम का प्लॉट है।
– जो अभी तक किसी भी तरह के आरक्षण के अंतर्गत नहीं आते थे।
मुख्यमंत्री रूपाणी ने आर्थिक आधार पर आरक्षण को आजादी के बाद का बड़ा ऐतिहासिक निर्णय बताते हुए इसे 14 जनवरी से लागू करने का एलान किया है। इस बीच, कांग्रेस ने आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के गुजरात सरकार के फैसले की आलोचना की है।
कांग्रेस अध्यक्ष चावड़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री को इसकी वजह और इसे लागू करने की प्रक्रिया के बारे में बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि जल्दबाजी में किए गए इस एलान से अभ्यर्थियों में भ्रम पैदा होगा। बता दें कि नए कानून के तहत सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 फीसद आरक्षण मिलेगा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सात जनवरी को आरक्षण के बिल को मंजूरी दी थी। इसे आठ जनवरी को लोकसभा और नौ जनवरी को राज्यसभा से पास किया गया। गुजरात में अप्रैल 2015 से ही पाटीदार समाज आरक्षण की मांग कर रहा है।
राजस्थान में गुर्जर, महाराष्ट्र में मराठा और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में सवर्ण समुदाय आरक्षण की मांग करता आ रहा है। अब आर्थिक आधार पर 10 फीसद आरक्षण लागू किए जाने के बाद पाटीदार समाज के कुछ लोग ओबीसी के तहत आरक्षण की मांग फिर उठा रहे हैं।