लालू यादव के लिए आज का दिन बेहद अहम, जमानत पर सुनवाई शुरू, सियासत हुई तेज

पटना। चारा घोटाले के चार मामलों में सजायाफ्ता राजद सुप्रीमो लालू यादव के लिए शुक्रवार का दिन बेहद अहम है। गंभीर बीमारियों के बेहतर इलाज के लिए उनकी जमानत अर्जी पर रांची हाईकोर्ट बड़ा फैसला दे सकती है।
लालू फिलहाल रांची के रिम्स (अस्पताल) में क्रॉनिक किडनी, हृदय, और डायबीटिज समेत करीब 11 गंभीर बीमारियों का इलाज करा रहे हैं।
इसके बाद यह तय हो जाएगा कि वे मकर संक्रांति के दिन चूड़ा-दही पटना स्थित आवास पर खाएंगे या जेल (अस्पताल) में। इस बीच पटना में लालू आवास पर बड़े नेताओं का आना जारी है।
राबड़ी देवी व तेजस्वी यादव से मिल रहे हैं। उधर, लालू की जमानत को लेकर सियासी प्रतिक्रियाएं भी लगातार आ रहीं हैं।
लालू प्रसाद ने सजा के विरोध में अपील भी की है। जमानत के लिए उनकी पैरवी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल कर रहे हैं। सुनवाई शुरू हो चुकी है।
लालू की जमानत को लेकर राजद व समथर्कों में उम्मीद है। राजद नेता रमई राम कहते हैं कि उन्हें न्यायिक प्रक्रिया पर विश्वास है। उम्मीद हैकि जमानत हो जाएगी।
लालू की जमानत को लेकर विरोधियों की सियासी प्रतिक्रियाएं भी मिल रहीं हैं। जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने लालू के जमानत लेने की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही यह कहा हैकि इसपर फैसला देना कोर्टका काम है। लोजपा संसदीय दल के नेता चिराग पासवान कहते हैं कि लालू तो रांची से ही महागठबंधन चला रहे हैं, वे अंदर रहें या बाहर, क्या फर्क पड़ता है?
विदित हो कि दिसंबर 2017 से रांची के हाटवार जेल में सजा काट रहे लालू प्रसाद यादव को इलाज के लिए हाईकोर्ट से पहले भी औपबंधिक जमानत मिल चुकी है। बीते 27 अगस्त 2018 को हाईकोर्ट ने उनकी औपबंधिक जमानत को खारिज करते हुए 30 अगस्त 2018 को सरेंडर करने का आदेश दिया था।
लालू यादव की ओर से जमानत अर्जी दाखिल करने वाले उनके वकील प्रभात कुमार के अनुसार उनके मुवक्किल को चारा घोटाला के दुमका कोषागार, चाईबासा कोषागार और देवघर कोषागार के मामलों में जमानत नहीं मिली है। इन्हीं मामलों में जमानत मांगी गई है। देवघर कोषागार मामला (आरसी 64 ए/96) में लालू को छह जनवरी 2018 को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई। चाईबासा कोषागार मामला (आरसी 68 ए/96) में कोर्ट ने लालू को 24 जनवरी 2018 को पांच साल की सजा दी। दुमका कोषागार मामला (आरसी 38 ए/96) में 24 मार्च 2018 को लालू को सात-सात साल की सजा सुनाई गई।
सबकी नजरें रांची हाईकोर्ट पर टिकीं हैं। कोर्ट के फैसले पर ही यह तय होगा कि मकर संक्रांति का चूड़ा-दही लालू जेल (अस्पताल) में खाएंगे या फिर पटना स्थित आवास पर।