आर्थिक स्थितियों पर RBI ने जारी की रिपोर्ट
मुंबई। भारत में अनुसूचित वाणिज्य बैंकों की मार्च 2018 तक की बेसिक सांख्यिकी रिटर्न्स रिपोर्ट केंद्रीय बैंक की ओऱ से जारी की गई है।
रिज़र्व बैंक ने देश की आर्थिक स्थितियों पर देश के विभिन्न अनुसूचित वाणिज्य बैंकों की बेसिक सांख्यिकी रिटर्न्स की जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध करा दी है।
मार्च 2018 तक शेड्यूल्ड बैंकों में लगभग 0.20 बिलियन लोन उधार खाते (लोन अकाउंट) और 1.91 बिलियन जमा खाते (डिपजिट अकाउंट) कार्यरत थे। इसके अलावा 0.24 बिलियन सावधि जमा खाते भी सक्रिय थे।
भारत की आर्थिक स्थितियों पर तैय़ार किए गए डेटा बेस (डीबीआईई) व अन्य रिपोर्ट को पोर्टल साइट पर अपलोड कर दिया है। इस डेटाबेस के आधार पर देश के विभिन्न बैंकों की जमा रकमों और ऋण के संबंध में वार्षिक सूचनाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
इसके अलावा बैंकों की बीएसआर-2 रिपोर्ट में जमा राशियों के प्रकार, सावधि जमा राशियों की परिपक्वता की प्रवृत्ति और कर्मचारियों की संख्या के संबंध में शाखावार डेटा रिपोर्ट भी पेश किए गए हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर बताया गया कि मार्च 2018 में लगभग 0.20 बिलियन उधार खाते और 1.91 बिलियन जमा खाते मौजूद थे।
पिछले दो वर्षों के दौरान गिरावट देखने के बाद वर्ष 2017-18 में औद्योगिक ऋण वृद्धि में तेजी देखने को मिली, जबकि वैयक्तिक उधारी सेगमेंट में निरंतर मज़बूत वृद्धि दर्ज़ हुई है। उधार पोर्टफोलिओ में निजी क्षेत्र के बैंकों ने अच्छी वृद्धि दर्ज़ की है और सकल बैंक ऋणों में उनके शेयर में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है।
इस दौरान विमुद्रीकरण (नोटबंदी) के कारण बैंकों में बचत जमा के औसत में नई ऊंचाई को छुआ। हालांकि पिछले पांच वर्षों के दौरान सावधि जमा औसत में गिरावट देखी गई है। मार्च 2018 में 1 वर्ष और 2 वर्षों की सावधि जमा का प्रतिशत लगभग 45 फीसदी रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यक्तिगत स्तर पर भी कुल ऋण और सकल जमा में महिलाओं का औसत मार्च 2018 में बढ़कर क्रमशः 20.4 प्रतिशत और 32.8 प्रतिशत हो गया है। एक वर्ष पूर्व यह औसत क्रमशः 19.3 प्रतिशत और 32.0 प्रतिशत रहा था। मेट्रोपोलिटन सिटी में, जहां 20 फीसदी से कम बैंक शाखाएं हैं।
रिज़र्व बैंक ने पिछली नीतिगत समीक्षा बैठक में ब्याज दरों को घटा दिया था। इसके कारण जमा निधि और ऋण दरों की लागत में कमी आई है। सालाना 8 प्रतिशत से अधिक ब्याज दर वाली सावधि जमा का औसत एक वर्ष पहले की तुलना में कम हो गया है।