पर्रिकर का आज शाम को होगा अंतिम संस्कार, अंतिम दर्शनों के लिए उमड़े लोग, PM मोदी गोवा रवाना

पणजी। गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार को निधन हो गया। वे पहले आईआईटीयन थे जो किसी राज्य के मुख्यमंत्री बने। पर्रिकर की सादगी और साफगोई की विरोधी भी तारीफ करते थे।
पैंक्रियाटिक कैंसर से पिछले एक साल से जूझ रहे 63 वर्षीय पर्रीकर ने रविवार शाम को अंतिम सांस ली। राष्ट्रपति कोविंद, प्रधानमंत्री मोदी समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने पर्रीकर के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
मनोहर गोपालकृष्ण पर्रिकर का जन्म गोवा के मापुसा में 13 दिसंबर 1955 को हुआ था। पर्रिकर स्कूली शिक्षा के दौरान ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। उन्होंने 1978 में आईआईटी बॉम्बे से मेटालर्जिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया था। इसके बाद वे 26 साल की उम्र में मापुसा के संघ चालक बने। 1988 में भाजपा में शामिल हुए। इस दौरान वे राम जन्मभूमि आंदोलन का भी प्रमुख हिस्सा रहे।
गोवा के मुख्यमंत्री होने के बावजूद पर्रिकर स्कूटर से विधानसभा जाया करते थे। रक्षामंत्री रहने के दौरान भी वे प्लेन में इकोनॉमी क्लॉस में ही सफर करते थे। पर्रिकर की छवि देश के बेदाग नेता वाली थी। किसी भी घोटाले में उनका नाम नहीं आया था। इसी छवि के चलते वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुड लिस्ट में शामिल थे। उनकी सादगी ऐसी थी कि वे बड़े-बड़े सम्मेलनों में हवाई चप्पल और हॉफ शर्ट में भी पहुंच जाते थे।
पर्रिकर ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि गुजरात दंगे मोदी के करियर पर एक धब्बा है। उन्होंने कहा था कि वे मुख्यमंत्री होते तो सुनिश्चित करते की ऐसी घटना न हो। हालांकि, पर्रिकर ने यह भी कहा था कि मोदी व्यक्तिगत रूप से इसमें शामिल नहीं थे और उन्हें जांच में क्लीन चिट मिली है।
Prime Minister Narendra Modi to leave for #Goa shortly, to offer last respects to Goa CM #ManoharParrikar who passed away yesterday. pic.twitter.com/adrMxbKmJV
— ANI (@ANI) March 18, 2019
हालांकि, पर्रिकर की प्रशासनिक और संगठनात्मक क्षमता के नरेंद्र मोदी भी कायल थे। इसी वजह से प्रधानमंत्री ने पर्रिकर को 2014 में अपनी कैबिनेट में रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी थी। वे 2017 तक इस पद पर रहे। 2014 में पर्रिकर के रक्षा मंत्री बनने के बाद लक्ष्मीकांत पार्सेकर को गोवा का सीएम बनाया गया था।
गोवा में 2017 में विधानसभा चुनाव हुए। इस दौरान पर्रिकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल थे। विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत नहीं मिला था। कांग्रेस राज्य की सबसे बड़ी पार्टी थी। पर्रिकर को पार्टी को दोबारा सत्ता में लाने के लिए केंद्र की राजनीति से राज्य की राजनीति में लौटना पड़ा। वे 40 विधानसभा सीटों वाले राज्य में सिर्फ 14 सीटों के साथ भाजपा को सत्ता में पहुंचाने में कामयाब हुए।