मसूद अज़हर का जैश-ए-मोहम्मद कश्मीर में एक शक्तिशाली आतंकवादी संगठन है, 2000 से हुए हर बड़े हमले के परोक्ष रूप से प्रतिबंधित…
नई दिल्ली। दिसंबर 1999 में अटल बिहारी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने पाकिस्तानी आतंकवादी मसूद अज़हर समेत दो अन्य आतंकियों को एयर इंडिया की फ्लाइट संख्या आईसी- 814 में अगुवा किये गये यात्रियों के बदले रिहा कर दिया था।
हालांकि मसूद अज़हर खुला घूम रहा है और अकसर सुरक्षा बलों पर इंटरनेट पर वीडियोंज़ के ज़रिए फब्तियां कसते रहता है। उसने अपनी रिहाई के तुरंत बाद पाकिस्तान लौटते ही जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की. आईसी 814 के अपहरणकर्ता का नेतृत्व उसका भाई कर रहा था।
जम्मू-कश्मीर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘ इस में कोई शक नहीं कि जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकी गुटो में जैश है लशकर-ए-तैयबा चाहे ज्यादा नज़र आए, जैश-ए-मोहम्मद को कश्मीर में ज़्यादा समर्थन मिला है।
हाल के दिनों में जैश जिन आतंकी हमलो में शामिल था उनमें 2016 के पठानकोट के हवाई बेस पर हमले और कई अन्य हमलें शामिल है। जैसे 2107 में बीएसएफ के श्रीनगर के कैंप में हमला शामिल है भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान में कई लोग इंगित करते हैं कि पाकिस्तानियों के द्वारा जैश-ए-मोहम्मद का समर्थन जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में इसके विस्तार का मुख्य कारण है।
2016 की इंडियन एक्सप्रेस रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2000 में श्रीनगर में सेना के 15 कोर मुख्यालय के द्वार कश्मीर घाटी में सुरक्षा प्रतिष्ठान पर पहले मानव बम हमले के लिए जैश-ए-मोहम्मद ज़िम्मेदार था। पाकिस्तान आर्मी ब्रास और आईएसआई के करीबी माने जाने वाला अज़हर पाकिस्तान के अंदर से भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते रहा है।
हालांकि, कई लोग कहते है कि इन प्रतिबंधों से निपटने के लिए पाकिस्तानी प्रतिष्ठान के भीतर कुछ भारत विरोधी तत्वों के सक्रिय समर्थन के साथ अजहर ने 2015 की शुरुआत में भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए एक नया मोर्चा बनाया- संसद हमले में अफ़ज़ल गुरु स्क्वाड का नाम आया था।
जिसमें आरोपी अफ़ज़ल गुरु को 2013 में फांसी दी गई थी यह वही समूह है जो जम्मू शहर के बाहरी इलाके सुंजावन में भारतीय सेना के शिविर पर हमले के लिए ज़िम्मेदार था। दिसंबर 2014 में उत्तरी कश्मीर में एक सेना शिविर पर हमला किया था, जिसमें पुलिस और सेना के 10 कर्मचारी मारे गए थे।