जानिए क्या है हमारे मौलिक अधिकार?
डेस्क। प्रत्येक व्यक्ति के मानसिक, भौतिक, शारीरिक, आध्यात्मिक और नैतिक विकास के लिए कुछ अधिकार दिए जाने आवश्यक होते है। ये अधिकार मौलिक अधिकार कहलाते है। इनके अभाव में व्यक्ति का समग्र विकास नहीं हो पाता है। यह व्यक्ति के यक्तित्व के विकास के लिए राज्य दुवारा स्थापित की गई ऐसी स्थितियां है जिन्हें समाज मान्यता प्रदान करता है। वही मूल अधिकार होते है।
विश्व में मूल अधिकारों की शुरुआत 1215 ई में ब्रिटेन सम्राट जॉन द्वितीय दुवारा सर्वप्रथम मैग्नाकार्टा नामक अधिकार पत्र जारी कर किसानों को अधिकार देने की साथ की थी। उसके बाद 1789 ई में फ्रांसीसी क्रांति में तीन नारे लगाए गए। स्वतंत्रता , समानता, भातृत्व’ ,लेकिन मुल्क अधिकारों की लिखित अभियक्ति पुरे विश्व में सर्वप्रथम अमेरिका ने की।
आपको बता दें कि भारत के संविधान में मौलिक अधिकारों को अमेरिका के संविधान से लिया गया है। भारत में पहली बार मौलिक अधिकारों की मांग बाल गंगाधर तिलक ने अपने स्वराज विधेयक में की थी। मूल संविधान में 7 मौलिक अधिकार थे लेकिन 44 वें संविधान संशोधन 1978 के तहत सम्पति के मौलिक अधिकार को इस सूचि से अलग कर इसे अनुच्छेद 300 क के तहत विधिक /क़ानूनी अधिकार बना दिया है। वर्तमान में 6 मौलिक अधिकार है।
समानता का अधिकार
स्वतंत्रता का अधिकार
शोषण के विरुद्ध अधिकार
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
शिक्षा व संस्कृति का अधिकार
संवैधानिक उपचारों का अधिकार