बीजेपी ने बनाई सपा-बसपा गठबंधन से निपटने की रणनीति, शाह ने सह प्रभारियों के साथ की मैराथन बैठक
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन की चुनौती से पार पाने के लिए भाजपा में माथापच्ची शुरू हो गई है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार को राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद विस्तारकों, प्रदेश अध्यक्ष, संगठन मंत्री और सह प्रभारियों के साथ मैराथन बैठक की।
इसमें पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पार्टी के साथ आए गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव दलित वोटों को हर हाल में सहेजने के निर्देश दिए गए। सपा-बसपा के गठजोड़ के ओबीसी-दलित गठबंधन के रूप में धारणा न बने, इससे बचने के लिए पार्टी ने इसे यादव-जाटव गठबंधन के रूप में प्रचारित करने की भी रणनीति बनाई है।
शाह ने विस्तारकों से हर हाल में 50 फीसदी मत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंकने का भी निर्देश दिया है। बैठक में शामिल एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पार्टी की प्रचंड जीत का कारण मूल समर्थक मतदाता वर्ग के साथ गैर यादव ओबीसी के बड़े तो गैर जाटव दलित के छोटे तबके का पार्टी के साथ जुड़ना था। शाह की रणनीति के मुताबिक, सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण से अगड़ा वर्ग पार्टी के साथ पहले से जुड़ा हुआ है।
बैठक में तीन राज्यों में पार्टी की हार के बाद तेवर दिखा रहे अपना दल और सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी को जोड़े रखने के अलावा छोटे-छोटे जातिगत समूहों को चिह्नित कर इन्हें पार्टी से जोड़ने की रणनीति बनी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, सपा-बसपा गठबंधन के बाद पार्टी एनडीए का कुनबा बिखरने का संदेश नहीं देना चाहती।
बैठक में शाह ने विस्तारकों, प्रदेश अध्यक्ष और संगठन मंत्री से सूबे की सभी 80 सीटों की सीटवार रिपोर्टिंग ली। इस दौरान दर्जन भर चुनिंदा सीटों पर व्यापक विचार विमर्श भी हुआ। इसके अलावा सभी सीटों पर बूथ प्रबंधन की स्थिति भी आंकी गई। माना जा रहा है कि सांसदों को टिकट मिलेगा या नहीं, यह इसी रिपोर्ट के आधार पर तय होगा।
दरअसल ढाई दशक पूर्व सपा-बसपा गठबंधन ने ही भाजपा को राज्य की सत्ता से बाहर किया था। विधानसभा चुनाव के बाद तीन लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में यह गठबंधन भाजपा पर भारी पड़ा था। विधानसभा चुनाव के नतीजों के मुताबिक अगर सपा-बसपा के हासिल मतों को मिला दिया जाए तो यह भाजपा को मिले 42 फीसदी वोटों के बराबर है। फिर इनके समर्थक मतदाता माने जाने वाले मुसलमान, दलित और यादवों की आबादी 20 सीटों पर 50 फीसदी से ज्यादा है।