केवल घोषणाओं के दम पर बिना सचिन पायलट को साधे कांग्रेस का फिर से सत्ता में आना संभव, गुटबाजी रहते कांग्रेस कर पाएगी भाजपा का मुकाबला, एक्सपर्ट बोले- गहलोत और पायलट का अलग-अलग प्रभाव

राजस्थान में सरकार रिपीट करवाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में घोषणाओं के अंबार लगा दिए। 19 नए जिले, 25 लाख तक का फ्री इलाज, 500 रुपए में गरीबों को गैस सिलेंडर, महिलाओं को स्मार्टफोन, बुजुर्गों को 1000 रुपए पेंशन, किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को फ्री बिजली जैसी कई ऐसी घोषणाएं हैं, जिनके दम पर गहलोत सरकार चुनावी मैदान में उतरेगी।
यह गुटबाजी कांग्रेस में ऊपर से नीचे तक जिला और ब्लॉक स्तर तक पहुंच गई है। ऐसे में चुनाव से पहले कांग्रेस हाईकमान चाहेगा कि दोनों नेताओं को एक जाजम पर लाया जाए और कार्यकर्ताओं में मैसेज दिया जाए कि कांग्रेस एकजुट है और चुनाव दोनों के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।
बिना सचिन पायलट को साधे कांग्रेस का फिर से सत्ता में आना संभव है कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं और राजनीतिक एक्सपर्ट से बात की। जातिगत समीकरणों और व्यक्तिगत प्रभाव के कारण गहलोत और पायलट का कांग्रेस में अपना-अपना कद है।
गहलोत-पायलट एक मंच पर साथ नजर नहीं आएंगे, कांग्रेस के लिए चुनावी चुनौतियों का सामना करना आसान नहीं होगा। दोनों नेताओं में सुलह की क्या संभावना है चुनाव से पहले कांग्रेस किस फॉर्मूले पर चलेगी पायलट और गहलोत दोनों को पोस्टर बॉय बनाएगी