सचिन पायलट बने राजस्थान की राजनीति के चाणक्य
सचिन पायलट एक युवा चेहरा है राजस्थान के इस महायुद्ध में कांग्रेस की 2013 के विधानसभा चुनाव में 20 सीटें थी। पायलट उस वक्त 36 वर्ष के थे जब उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पार्टी की कमान संभाली। सचिन पायलट साढ़े 4 साल बाद राजस्थान की सियासत को बदला। पायलट एक युवा नेता के रूप में जाने जाते हैं 26 साल की उम्र में संसद पहुंचे 2013 में 20 सीटों के साथ कांग्रेस की जिम्मेदारी संभालने के बाद पायलट ने राजस्थान के उपचुनाव में तीनों सीटें कांग्रेस की झोली में डाली। विपक्ष में बैठते और बीजेपी सरकार पर हमला बोलते रहे लगातार राजनीति में सचिन पायलट सक्रिय कार्यकर्ताओं से लेकर आम लोगों तक साथ मिलकर काम करते रहे युवाओं और कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर बड़े नेताओं के साथ हाथ से हाथ मिलाकर दिल्ली से राजस्थान तक सभी नेताओं से मिलकर उन्होंने बहुत मेहनत की और 2018 के विधानसभा चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनाने में प्रयास किए यह प्रयास के सफल हुए राजस्थान का उपमुख्यमंत्री चुना गया है जहां बात करते हैं सचिन पायलट ने अपने पिताजी विरासत को बखूबी संभाला है उनके पिता का नाम राजेश पायलट था कांग्रेस की युवा बिग्रेड सचिन पायलट को बहुत पसंद करती हैं सचिन पायलट केंद्र की सियासत से कम उम्र में ही जुड़ गए थे उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि यह कांग्रेस का भविष्य है और बहुत ही आगे जाएगा।
आपको बता दें कि सचिन पायलट का जन्म उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुआ था उन्होंने जिसके बाद स्नातक किया और प्रदेश में आगे की पढ़ाई शुरू की और उसके बाद पायलट को अमेरिका में भेजा जहां से उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन किया कुछ समय सचिन पायलट ने बीबीसी दिल्ली ब्यूरो में भी काम किया 2 साल तक उन्होंने अमेरिकी कंपनी जनरल मोटर्स के साथ काम किया फिर राजनीति की सियासत मिली और युवावस्था में ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया वह एक कांग्रेसी नेता थे और पायलट के पिता दोसा सीट से चुनाव लड़े थे उसी सीट से सचिन पायलट चुनाव लड़े ओर संसद के सदस्य बनें। लोकसभा की स्थाई समिति के सदस्य बने सचिन पायलट को नागरिक उड्डयन मंत्रालय में सलाहकार समिति सदस्य बनाया गया 2009 में लोकसभा चुनाव में अजमेर से के कद्दावर नेता किरण माहेश्वरी को हराया और सूचना एवं संचार राज्य मंत्री के रूप में उन्हें मंत्र मंत्री बने 2012 में सचिन मामलों के राज्य मंत्री बने और 2017 तक इस पद पर बने रहे सचिन पायलट को टोंक से चुनाव में टिकट दिया गया जहां से उन्होंने बीजेपी के मजबूत नेता यूनिस खान को साढे 45000 वोटों से हराया पायलट किसी भी जगह से खड़ा हो पायलट हमेशा रुकता नहीं है उड़ता है।
उन्होंने कांग्रेस हाईकमान को भरोसा दिलाया पार्टी के अनुभवी नेताओं के साथ मिलकर राजस्थान के रण में कांग्रेस को सत्ता में लाया सीएम पद के लिए भी प्रबल दावेदार थे लेकिन हाईकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भरोसा जताया एक सीनियर लीडर है कांग्रेस पार्टी में गहलोत के नाम पर ही सीएम की मुहर लगाई और सचिन पायलट को डिप्टी सीएम बनाया और प्रदेशाध्यक्ष भी बने रहेंगे और उन्हें यह भी चर्चा चल रही है कि उन्हें गृह मंत्रालय भी मिल सकता है सचिन पायलट गुर्जर समुदाय से संबंध रखते हैं उनके पिता कांग्रेश के दिग्गज नेता माने जाते थे पायलट की शादी 2004 हुई थी हैं स्वास्थ्य को लेकर वो काफी है सजग रहते हैं उनकी पसंदीदा अभिनेत्री नरगिस मधुबाला है उनका पसंदीदा खेल क्रिकेट है वह राजनीति में व्यवस्था के चलते इन सबके लिए टाइम नहीं निकाल पाते है।
सचिन पायलट MBA की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए जहां उनकी मुलाकात फारुख अब्दुल्ला की बेटी सारा से हुई और दोनों के बीच प्यार हो गया उस जमाने में ईमेल और फोन के जरिए बात करते थे एक दूसरे को डेट किया करते थे दोनों ने ही अपने परिवार को बताया बाद में जब बताया तो हिंदू मुस्लिम परिवार की बात आ गई उसके बाद में दोनों ने अपनी मर्जी से शादी कर ली और शादी के बारे में अपने परिवार वालों को भी नहीं बताया सचिन और सारा ने इसकी परवाह नहीं की और उसके बाद धीरे-धीरे दोनों ही परिवार एक हो गए और आज सचिन पायलट इस मुकाम पर पहुंच गए हैं ओर आने वाले भविष्य के एक मजबूत नेता है।
सचिन पायलट भी चाणक्य बन गए हैं उनसे बड़ा चाणक्य राजस्थान की सियासत में कोई नहीं है 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को सत्ता में लाने का प्रयास किया और वह प्रयास सफल रहा केंद्र में भी सचिन पायलट के रूप में बैठ चुके हैं उसके बाद सियासत में पैर जमाए और उनके पैर अंगद के पैर की जैसे ही मजबूत हो गए आने वाली सियासत में उनका नाम और एक अलग पहचान होगी पायलट राजस्थान की सियासत में कई रंग भरे हैं और आने वाली राजनीति को वह बदलेंगे उन्हें पार्टी ने उप सीएम का पद दिया है वो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे सचिन पायलट राजस्थान की राजनीति में एक चाणक्य के रूप में जाने जाते हैं और राजनीति का चाणक्य भी कहा जाता है।