राजस्थान में तीसरे मोर्चे की आहट
राजस्थान की सियासत में 2018 के विधानसभा चुनाव में राजनीति एक अलग ही मोड ले रही है। हम बात करते हैं दो बड़ी पार्टियां भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजस्थान में कई वर्षों से सियासत में अपने आप को रंग रही है बड़े राजनेता राजनीति की सुगबुगाहट को देखते हुए जिंदा हो गए हैं आज सभी राजनेता तमाम कार्यकर्ता सब अपने आप को में रंगने के लिए तैयार है और चुनाव में टिकट के लिए दम दिखाने के लिए कार्यालय पर चक्कर काट रहे हैं। कई वर्षों से कांग्रेस और भाजपा राजस्थान में चुनावी जंग जीत कर राजस्थान में राज कर रही हैं।
2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सरकार पूरे बहुमत के साथ सत्ता में आई इसके बाद कहीं चेहरे अलग होकर राजनीति कर रहे है ऐसे में आज दोनों ही पार्टियों के नेता व निर्दलीय विधायक आज सियासत में तीसरा फ्रंट बनकर तैयारी करने में लगे हुए हैं राजस्थान में दोनों ही पार्टियों के लिए यह गलत साबित हो सकता है। आम आदमी पार्टी भी राजस्थान में 200 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है ऐसे में दोनों के लिए सत्ता का रास्ता रुक भी सकता है राजस्थान की राजनीति में तीसरा फ्रंट क्या राज कर पाएगा क्या राजनीति बदलेगी और सरकार लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी या फिर निर्दलीय बाजी मारेंगें यह सब आगामी चुनावों होंगे में देखा जाएगा ऐसे में क्या राजस्थान की राजनीति में नया बदलाव आएगा राज्य के मुद्दे, विकास, शिक्षा, रोजगार, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों के साथ सत्ता में काबिज करेगी या तीसरा मोर्चा इन मुद्दों के साथ राजस्थान की राजनीति में राज करेगा।
यह लेखक के अपने निजी विचार है