डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का देश के लिए अहम योगदान
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 में हुआ था एपीजे अब्दुल कलाम को मिसाइल मैन के नाम से भी जाना जाता है कलाम एक जाने- माने विख्यात वैज्ञानिक थे इन्होंने कई वर्षों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन वह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो का और मिसाइल विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे।
अब्दुल कलाम का परिवार मध्यमगरीब परिवार था इनके पिता मछुआरों को नाव किराए पर देते थे इनके पिता पढ़े-लिखे नहीं थे एपीजे अब्दुल कलाम रामेश्वरम के पंचायत प्राथमिक विद्यालय से अपनी बात की इसके बाद अब्दुल कलाम ने लड़ाई के साथ अखबार भी के घरों में वितरित करते थे। उसके बाद अब्दुल कलाम 1950 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने भारत के लिए योजनाओं में अपनी अहम भूमिका निभाई जो आज भी उनके नाम से उनके कार्यों को आज भी लोग याद करते हैं अब्दुल कलाम ने रोहिणी उपग्रह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में और भी ऐसे कई प्रक्षेपण यान उपग्रह जिनका उन्होंने परीक्षण किया और देश के लिए ऐसे उपग्रह बनाई ऐसी योजनाएं बनाई। डॉ कलाम कई उपग्रह पूर्वक उनका करने के आज भी देश में एक प्रेरणा मानते हैं और उन्हें आज करते हैं डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की देश के लिए एक अलग ही पहचान है आज भी वह लोगों के दिलों में जिंदा है आज भी लोग उन्हें एक प्रेरणा मानकर उनके कार्यों की सराहना करते हैं।
एपीजे अब्दुल कलाम 1974 के बाद 1998 में पोखरण मैं अपनी संगठनात्मक तकनीकी और राजनीतिक भूमिका निभाई। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने कर्म साराभाई के नेतृत्व में के कार्य सीखें और उनसे कई तरह का ज्ञान भी लिया जो आज देश के लिए काम आया अब्दुल कलाम ने अग्नि एवं पृथ्वी जैसे कई परीक्षण तकनीक से परीक्षण किए देश को दिए मजबूत हो डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। पोखरण में दूसरी बार परमाणु परीक्षण में साथ पिलाकर उन्होंने निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की कॉस्को 2020 तक विज्ञान से एक विशेष सोच प्रदान करने की कोशिश की।
2002 में पार्टी के समर्पित एनडीए डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति के लिए निर्वाचित किया सभी पक्ष विपक्ष दलों ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को के साथ भारत का राष्ट्रपति चुनाव भवन के अशोक कक्ष के में राष्ट्रपति की शपथ दिलवाई गई उस वक्त मंत्री अटल बिहारी बाजपेई थे और साथ में उनका मंत्रिमंडल भी उनके शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित था कल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ डॉ एपीजे अब्दुल कलाम बिल्कुल शाकाहारी थे। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी जिनसे युवाओं को एक अच्छी सीख मिली उनके विचार उनकी भावनाएं अच्छी हो डॉ एपीजे अब्दुल कलाम 27 जुलाई 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में रहने योग्य ग्रह पर एक व्याख्या तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह बेहोश होकर गिर गए उसके बाद उन्हें हालत में पताल में आयुष में भर्ती कराया गया और कुछ देर बाद उनकी मृत्यु की पुष्टि हुई और अस्पताल में एपीजे अब्दुल कलाम ने अंतिम सांस ली।